अतिथि अध्यापकों को नहीं
मिलेगा समान कार्य समान वेतन का लाभ,
पार्ट-टू के तहत लगे
अनुबंधित कर्मचारियों को ही समान काम-समान वेतन का लाभ
कुरुक्षेत्र, लोकहित एक्सप्रैस,(अनिल सैनी)। सुप्रीम कोर्ट के
न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर और एसए बोबदे की खंडपीठ ने स्टेट आफ पंजाब बनाम जगजीत
सिंह केस में सुनवाई करते हुए 26
अक्टूबर 2016 को समान काम
के लिए समान वेतन देने का फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हरियाणा
सरकार अनुबंध पर लगे कर्मचारियों को समान काम के लिए समान वेतन देने को तैयार हो
गई है। राज्य में केवल आउटसोर्सिग पालिसी पार्ट-टू के तहत लगे अनुबंधित
कर्मचारियों को ही समान काम-समान वेतन का लाभ मिलेगा। बोर्ड एवं निगमों में
कार्यरत कर्मचारियों पर भी यह व्यवस्था लागू रहेगी।
आउटसोसिर्ंग पालिसी पार्ट-टू वर्ष 2015 में तैयार हुई थी, जिसमें स्वीकृत पदों पर
सरकारी विभागों की चयन समिति के माध्यम से सीधे भर्ती करने का प्रावधान है। भर्ती के
लिए विज्ञापन भी सरकारी विभाग की ओर से निकलेगा। हरियाणा सरकार ने आउटसोर्सिग
पालिसी पार्ट-वन व ठेकेदार के माध्यम से लगे कर्मचारियों को समान काम के लिए समान
वेतन देने से वंचित रख दिया है। इनमें अतिथि अध्यापक भी शामिल हैं। इन कर्मचारियों
के वेतन में बढ़ोतरी के लिए अलग से कमेटी बनेगी।
हरियाणा
में अतिथि अध्यापक पिछले एक दशक से कार्यरत है। पिछले सप्ताह ही आउटसोसिर्ंग
पॉलिसी पार्ट-टू के तहत अनुबंध आधार पर होने वाली भर्ती में आरक्षण देने के आदेश
जारी किए गए थे। अतिथि अध्यापक की भर्ती चयन समिति के माध्यम से सीधे भर्ती नहीं
की गई थी और ना ही अतिथि अध्यापक भर्ती में आरक्षण देने के प्रावधान का पालन किया
गया है। अतिथि अध्यापक तो नियमित करने के लिए संघर्ष कर रहे है, जबकि सरकार के
द्वारा इनको समान काम के लिए समान वेतन भी नहीं दिया जा रहा। ऐसे में अतिथि अध्यापकों
में आक्रोश बढ़ना तय है।
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा
के महासचिव, सुभाष
लांबा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह कभी नहीं कहा कि पार्ट टू पालिसी के तहत लगे
कर्मचारियों को लाभ दिया जाए और पार्ट वन के तहत कर्मचारियों को वंचित रख दिया
जाए। सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार कर सभी अनुबंधित कर्मचारियों को इस लाभ के
दायरे में लाना चाहिए अन्यथा हमें आंदोलन की नई रणनीति बनानी पड़ेगी।
No comments:
Post a Comment