चंडीगढ़। प्रदेश के शिक्षा विभाग में कार्यरत उन पीजीटी शिक्षकों की मुसीबत बढ़ गई है, जिन्होंने अध्यापक पात्रता परीक्षा पास किये बिना नौकरी हासिल की थी। अपनी नौकरी बचाने के लिए उनके सामने एक शर्त रखी गई थी कि..
उन्हें 1 अप्रैल 2018 तक अध्यापक पात्रता परीक्षा पास करनी होगी।
ये थी शर्त
साल 2012 में 14 हज़ार 216 पीजीटी पदों का विज्ञापन जारी हुआ था। तत्कालीन हुड्डा सरकार ने अतिथि अध्यापकों को भर्ती में आवेदन करने का मौका दिया था। पर उनके सामने शर्त ये थी कि चयनित उम्मीदवारों को 1 अप्रैल 2015 तक अध्यापक पात्रता परीक्षा पास करनी होगी और बी.एड की डिग्री हासिल करनी होगी।
सरकार पर बनाया था दबाव
ऐसे बहुत से उम्मीदवारों का चयन किया गया था। लेकिन 1 अप्रैल 2015 तक वे अध्यापक पात्रता परीक्षा पास करने में विफल रहे तो उन्होंने सरकार पर दबाव बनाया कि उन्हें और समय दिया जाए।
हर बार हुए फेल
हुड्डा सरकार ने एक मौका और देते हुए उन्हें 1 अप्रैल 2018 तक अध्यापक पात्रता परीक्षा पास करने का समय दिया था। लेकिन 6 साल बीतने पर भी अनेक बार आयोजित हुई अध्यापक पात्रता परीक्षा में ये पीजीटी शिक्षक फेल रहे।
याचिका में दी गई ये दलील
HTET पास उम्मीदवारों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करके ऐसे पीजीटी शिक्षकों को तुरन्त हटाने और उनका वेतन जारी न करने की मांग की। याचिका में कहा गया कि पिछले 6 साल से जिस पाठ्यक्रम को ये NON-HTET पीजीटी पढ़ा रहे हैं, उसी पाठ्यक्रम में से आयोजित परीक्षा को ये पास करने में असफल रहे हैं। याचिकाकर्ताओं का सवाल है कि उन्हें किस आधार पर सेवा में रखा जा रहा है।
हाईकोर्ट ने किया जवाब तलब
हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई की है। कोर्ट ने 1 अप्रैल 2018 तक अध्यापक पात्रता परीक्षा पास करने में असफल रहने वाले पीजीटी शिक्षकों को पद से ना हटाए जाने पर सरकार और शिक्षा विभाग के अधिकारियों से जवाब तलब किया है।
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