3 मई को गंगोत्री-यमुनोत्री,
6 मई को केदारनाथ और 8 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे।
सरकारी निर्देश के मुताबिक, बद्रीनाथ में प्रतिदिन केवल 15,000, केदारनाथ धाम में 12,000, गंगोत्री में 7,000 और यमुनोत्री में प्रतिदिन केवल 4,000 श्रद्धालु ही जा सकेंगे। यह व्यवस्था अगले 45 दिन तक लागू रहेगी। इस साल 30 अप्रैल तक गंगोत्री के लिए 44127 यात्रियों ने रजिस्ट्रेशन कराया, जबकि यमुनोत्री के लिए 44,951 रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। वहीं बद्रीनाथ के लिए 70 हजार लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है।
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चारों धाम समुद्र तल से काफी ऊंचाई पर स्थित हैं और दुर्गम भी हैं। यहां तापमान 10 से 15 डिग्री के बीच ही रहता है। इसलिए सेहत का ख्याल जरूर रखें, चेकअप करा कर ही निकलें। ऊंची चढ़ाई होने की वजह से सांस की बीमारी से परेशान लोगों को अपने साथ ऑक्सीजन सिलेंडर भी रखना चाहिए।
ठंड की वजह से गर्म कपड़े साथ रख लें। अच्छे ट्रैकिंग या स्पोर्ट्स शूज ले जाएं। एक लीटर पानी, रेन कोट या छाता जरूर ले जाएं, क्योंकि पहाड़ी इलाकों में कभी भी बारिश हो सकती है।
केदारनाथ धाम यात्रा:-
- केदार धाम जाने के लिए आप अपनी गाड़ी या सरकारी बस से सोनप्रयाग तक ही पहुंच सकते हैं।
- आप सोनप्रयाग या गौरीकुंड में ठहर सकते हैं। होटल पहले से बुक कर लेना बेहतर रहता है।
- सोनप्रयाग से 5 किलोमीटर आगे यानी गौरीकुंड तक का सफर आपको प्राइवेट टैक्सी से करना होगा।
- केदारनाथ में ठहरने के लिए पहले से होटल बुकिंग करानी होगी। यहां सरकारी गेस्ट हाउस या टेंट भी बुक करा सकते हैं।
- गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक आप घोड़ा, पालकी या पैदल ट्रेकिंग के जरिये आगे जा सकते हैं।
· दर्शन का समय – केदारनाथ मंदिर में पूजा अनुष्ठान सुबह 4:00 बजे महा अभिषेक आरती के साथ शुरू होता है और शाम 7:00 बजे शयन आरती के साथ समाप्त होता है। मंदिर 6:00 बजे तीर्थयात्रियों के दर्शन के लिए खुलता है। दोपहर में यह 3:00 से 5:00 बजे तक दो घंटे के लिए बंद होता है।
केदार धाम के लिए हवाई यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन :-
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बद्रीनाथ धाम यात्रा:-
ऋषिकेश से बद्रीनाथ की दूरी लगभग 300 किलोमीटर है। यहां ठहरने के अच्छे इंतजाम हैं।
नर और नारायण पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित बद्रीनाथ धाम समुद्र ताल से 3300 मीटर की ऊंचाई पे स्थित है। यह उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु को समर्पित है, जिन्हें दिव्य हिंदू त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु और शिव) का रक्षक और संरक्षक माना जाता है। इन महत्वपूर्ण कारणों के अलावा, बद्रीनाथ धाम को चारधाम यात्रा में इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह वह स्थान है जहाँ आदि शंकराचार्य ने मोक्ष प्राप्त किया था, इस प्रकार, पुनर्जन्म की प्रक्रिया से अपनी स्वतंत्रता प्राप्त करते हैं। केदारनाथ से दूरी 218 किमी है और हरिद्वार से इसकी दूरी 316 किमी है। देहरादून से बद्रीनाथ 334 किमी पे स्थित है।
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दर्शन का समय –
मंदिर में दैनिक अनुष्ठान महा
अभिषेक और अभिषेक पूजा के साथ लगभग 4:30 बजे शुरू होते हैं और शयन आरती के साथ लगभग 9:00
बजे समाप्त होते हैं। मंदिर आम
जनता के लिए सुबह 7:00 बजे खुलता है और दोपहर में 1:00
बजे से शाम 4:00
बजे के बीच बंद होता है।
यमुनोत्री धाम यात्रा:-
- उत्तरकाशी में पड़ने वाले इस यमुनोत्री धाम के कपाट 3 मई को अक्षय तृतीया के दिन 12.15 बजे खुलेंगे।
- सड़क मार्ग से ऋषिकेश से यमुनोत्री की दूरी लगभग 242 किलोमीटर है। पहुंचने में 6-7 घंटे का समय लगता है।
- जानकी चट्टी के पास ही रात को ठहरने और खाने-पीने का इंतजाम है।
- इसके अलावा हनुमान चट्टी, राणा चट्टी, स्याना चट्टी और बड़कोट में भी ठहर सकते हैं।
- यमुनोत्री जाने के लिए सुबह जल्दी निकलें, ताकि शाम तक जानकी चट्टी लौट आएं, क्योंकि यमुनोत्री में ठहरने के इंतजाम नहीं हैं।
- मंदिर के पास ही दिव्य शिला और सूर्य कुंड है। यहां गरम जल का कुंड है, जिसमें आप स्नान भी कर सकते हैं।
- यहां गरम पानी में आलू और चावल पकाए जाते हैं, जिन्हें तीर्थयात्री प्रसाद के रूप में घर ले जाते हैं।
· दर्शन का समय – यमुनोत्री मंदिर सुबह लगभग 7 बजे श्रद्धालुओं के लिए खुल जाता है। दोपहर 1 बजे से 4 बजे के बीच की अवधि में बंद होता है। यमुनोत्री मंदिर के बंद होने का समय रात 8 बजे है। यहाँ से देहरादून 182 किमी की दूरी पर स्थित है और हरिद्वार 226 किमी दूर है।
- गंगोत्री धाम यात्रा:-
- गंगोत्री से गंगा नदी का उद्गम होता है। यहां देवी गंगा का मंदिर है। समुद्र तल से ये मंदिर 3042 मीटर की ऊंचाई पर है। ये स्थान जिला उत्तरकाशी से 100 किमी की दूर है। हर साल गंगोत्री मंदिर मई से अक्टूबर तक के लिए खोला जाता है। बाकी समय में यहां का वातावरण प्रतिकूल रहता है, इसीलिए मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इस क्षेत्र में राजा भागीरथ ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए तप किया था। शिवजी यहां प्रकट हुए और उन्होंने गंगा को अपनी जटाओं में धारण कर उसका वेग शांत किया था। इसके बाद इसी क्षेत्र में गंगा की पहली धारा भी गिरी थी।
· दर्शन का समय – गंगोत्री मंदिर में पूजा सुबह 4:00 बजे आरती के साथ शुरू होती है और शाम 7:00 बजे शयन आरती के साथ समाप्त होता है। मंदिर 6:00 बजे तीर्थयात्रियों के दर्शन के लिए खुलता है। दोपहर में यह 2:00 से 3:00 बजे तक बंद होता है।
· चार धाम तक कैसे पहुंचे:-
· सड़क मार्ग से चार धाम यात्रा हरिद्वार, दिल्ली, ऋषिकेश,और देहरादून से शुरू कर सकते हैं। हरिद्वार रेलवे स्टेशन इन पवित्र स्थानों से सबसे निकटम रेलवे स्टेशन है. हरिद्वार सड़क और रेल नेटवर्क के माध्यम से दिल्ली और अन्य प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन और निजी बसें इन पवित्र तीर्थ स्थलों के लिए उपलब्ध हैं । हिरद्वार, ऋषिकेश, और देहरादून से टैक्सी भी उपलब्ध हैं।
· चार धाम यात्रा को पूरा करने का मार्ग: हरिद्वार – ऋषीकेश – बरकोट – जानकी चट्टी – यमुनोत्री – उत्तरकाशी – हरसिल – गंगोत्री – घनसाली – अगस्तमुनि – गुप्तकाशी – केदारनाथ – चमोली गोपेश्वर – गोविन्द घाट – बद्रीनाथ – जोशीमठ – ऋषीकेश – हरिद्वार
हेलीकॉप्टर द्वारा:
सहस्त्रधारा हेलीपैड, देहरादून से चार धाम के लिए हेलीकाप्टर सेवा उपलब्ध है। हेलीकॉप्टर सेवा देहरादून से खरसाली तक है, जो यमुनोत्री मंदिर से लगभग 6 किमी दूर है। हरसिल हेलीपैड गंगोत्री मंदिर के लिए निकटतम हेलिपैड है, जो मंदिर से 25 किमी दूर स्थित है। बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के हेलिपैड भी मंदिर के पास स्थित हैं।
हेलीकॉप्टर मार्ग – देहरादून (सहस्त्रधारा हेलीपैड) – यमुनोत्री (खरसाली हेलीपैड) – गंगोत्री (हरसिल हेलीपैड) – गुप्तकाशी हेलीपैड – केदारनाथ हेलिपैड – गुप्तकाशी – बद्रीनाथ – देहरादून
चार धाम यात्रा के दौरान रहने की जगह
चार धाम यात्रा के दौरान रुकने के लिए बहुत सारे होटल, गेस्ट हाउस, रिसॉर्ट्स, आश्रम, और धर्मशाला उपलब्ध हैं। होटल लक्ज़री से लेकर किफायती रेंज तक उपलब्ध हैं। यात्री अपनी सुविधा के अनुसार चुन सकते हैं। इस क्षेत्र के कुछ लोकप्रिय विश्राम स्थल यहाँ लिखे गए हैं:
· गरवाल मंडल विकास निगम सरकारी गेस्ट हाउस – हरिद्वार, ऋषीकेश, देहरादून, देवप्रयाग, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, जोशीमठ, पीपलकोटी, गोविंद घाट, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गुप्तकाशी, हरसिल (गंगोत्री), और यमुनोत्री
· हिमालयन एको रिसोर्ट, बरकोट
· कैंप निरवाना, गुप्तकाशी
· विश्वनाथ टूरिस्ट लॉज, गुप्तकाशी
· धनेश्वर रिसोर्ट, देवप्रयाग
· रामकुंड रिसोर्ट, देवप्रयाग
· यमनोत्री कॉटेज
· जोशीमठ चार धाम कैंप
· होटल नारायण पैलेस, बद्रीनाथ
· होटल चाहत, श्रीनगर
· होटल हेवन , चमोली
· होटल कुंदन पैलेस, उत्तरकाशी
· होटल मन्दाकिनी, रुद्रप्रयाग
यात्रा के दौरान ले जाने वाली चीजें
· हमेशा सर्दी, खांसी और बुखार के लिए जरूरी दवाओं की एक किट साथ रखें।
· इसके अलावा, बैंड-एड्स और एक एंटीसेप्टिक मरहम ले जाएं।
· सनबर्न से बचाव के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। यदि आप धूप में यात्रा कर रहे हैं तो टोपी पहनें और चश्मा करें।
· ऊनी कपड़े जैसे की बॉडी वार्मर, स्वेटर, जैकेट, टोपी, जुराबें, एवं ग्लव्स ले के जाएँ।
· विंडचीटर, रेनकोट, और बारिश से बचने के लिए छाता भी रखें।
· वाटर प्रूफ जूते और वाटरप्रूफ बैग ले के जाएं।
· बैटरी से चलने वाली टार्च और पर्याप्त बैटरी ले जाएं।
· पानी और ड्राई फ्रूट्स भी रखें रास्ते के लिए।
· ज़रूरी कागज़ात जैसे की टिकट्स, आइडेंटिटी प्रूफ, और पैसे संभाल के वाटरप्र्रोफ बैग में रखें।
मुझे लिखना पसंद है। आपके लेख पढ़ के मुझे बहुत अच्छा लगता है। मेरे लेख को देख सकते है। गंगोत्री धाम की पौराणिक अवधारणा
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